मंदिर के संदर्भ में

बद्री भगत झण्डेवाला देवी मंदिर का समस्त प्रबंध सन 1944 में स्थापित "बद्री भगत झंडेवाला टेम्पल सोसायटी" द्वारा किया जाता है। उस समय सोसायटी के प्रमुख का कार्य ब्रह्म लीन श्री प्रेम कपूर जी की देखरेख में आरम्भ हुआ था जो कि बद्री भगत जी के वंशज है । सोसायटी के अन्य न्यासी समाज के विभिन्न वर्गों से मनोनमीत किये गए गणमान्य जन हैं। जिन्हें धार्मिक एवं सामजिक कार्यों का सफल अनुभव प्राप्त है। मंदिर का प्रबंधन मंत्री पद पर आसीन माननीय अधिकारी की देखरेख में चलता है जिनकी सहायता के लिए एक अतिरिक़्त मंत्री, एक कोषाध्यक्ष एवं एक अतिरिक़्त प्रबंधक भी कार्यरत है जो मंदिर न्यास के न्यासी भी हैं । उनकी सहायता के लिए मंदिर परिसर में एक कार्यालय भी है जिसमें लेखा जोखा विभाग, जन संपर्क अधिकारी, कार्यालय कर्मी, कई अर्चक व अन्य कर्मचारी हैं ।

वासंतिक नवरात्र व शारदीय नवरात्र यह दो प्रमुख त्यौहार मंदिर में मनाये जाते हैं जिसमें लाखों श्रद्धालु मंदिर में झण्डेवाली माँ के दर्शन व आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। आने वाले श्रद्धालु भक्तों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रबंधन ने सभी कार्यों को विभिन्न विभागों एवम टोलियों में बांटा है जिस का प्रबंधन 40 सदस्य उत्सव समिति करती है । हर विभाग एवं टोली का सेवाकार्य उत्सव समिति के एक या अधिक सदस्यों की देखरेख में चलता है । उत्सव समिति के सभी सदस्य समाज के विभिन्न वर्गों से हैं जो मंदिर में निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं । हर विभाग में सैकडों कार्यकर्ता सेवादार अपनी निस्वार्थ सेवा प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में 2000 कार्यकर्ता सेवारत हैं । इनके अतिरिक्त 300 महिला सेवादार भी अपनी निस्वार्थ सेवायें प्रदान करती हैं। समस्त सेवादार मेले की सभी व्यवस्थाओं में अपनी सेवाएं अपने विभाग एवं टोली प्रमुख देख रेख में मनोनीत उत्सव समिति और माननीय न्यासी अधिकारियों के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार करते हैं।

मंदिर में मुख्य दर्शन "माँ झण्डेवाली देवी " एवम "माँ गुफावाली देवी" के अतिरिक्त मनमोहक एवम सुन्दर माँ संतोषी दरबार भी है जिसमें संतोषी माता, लक्ष्मी माता, गणेश जी, गौ माता और हनुमान जी की प्रतिमायें स्थापित हैं। गुफा वाली माता जी के सामने दो अखण्ड ज्योतियाँ आठ दशकों से प्रज्जवलित हैं। एक ज्योत स्तम्भ भी है जिसमे श्रद्धालुओं द्वारा अखंड ज्योत सदैव प्रज्वल्लित रहती है। गुफा में एक प्राचीन शिवालिंग और शिव परिवार विराजमान है। मुख्य मंदिर के प्रथम ताल पर एक भव्ये एवं अति सुन्दर शिवालए भी है। मंदिर के दुसरे छोर पर माँ काली का मंदिर भी है। मंदिर सोसायटी द्वारा , पूजा अर्चना, मंदिर में होने वाले श्रृंगार एवम आरतियों को विधिवत सम्पूर्ण करने के लिए 30 अर्चक व 100 कर्मचारी नियुक़्त किए गए हैं जो दिन रात मंदिर स्वागत कक्ष रेख में सभी कार्यों की भली भांति देख रेख करते हैं।

प्रारम्भ में झंडेवाला मंदिर ऐस्टेट की सारी देखभाल बद्री भगत जी व उनके वंशज ही करते थे। सन 1944 में उनके परपौत्र श्री श्याम सुंदर जी ने बद्री भगत झंडेवाला टेम्पल सोसायटी नाम से एक न्यास की स्थापना कर उस समय के गणमान्य धर्मावलम्बियों को न्यासी नियुक़्त कर सारा प्रबंध उस न्यास को सौंप दिया। इस न्यास में बद्री भगत जी की धाार्मिक, सामजिक और धर्म प्रचार की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपना कार्य आगे बढाया ।

समय बीतने के साथ माँ की कॄपा से भक़्तों की संख्या बढने लगी जो कि वर्तमान में प्रतिदिन हजारों में पहुँच गयी है। यह संख्या नवरात्रों में लाखों में पहुँच जाती है । इस बढती संख्या के कारण मंदिर का प्ररूप बदलने की आवश्यकता प्रतीत हुई और इस के लिए आवश्यक कार्य किये गये । आज एक सुन्दर व्यवस्था के साथ मंदिर का स्वरूप ही बदल गया है ।

सोसायटी ने अपने दायित्व और विवेक के अनुरूप काम करते हुए समस्त संपदा के विकास के लिए रूप रेखा बना कर इस पर करोडो रूपये खर्च किये हैं । बद्री भगत झंडेवाला टेम्पल सोसायटी मंदिर की देख रेख के अतिरिक्त प्राकॄतिक आपदाओं में भी (देश के विभिन्न प्रांतों) में दिल खोलकर अपना योगदान दिया है जिसका सबसे बड़ा उदहारण है कि कोविड महामारी के महा प्रकोप में भी मंदिर व्यवस्था की ओर से प्रतिदिन ३५००० भोजन के पैकेट दिल्ली वभिन्न स्थानों स्थानों पर वितरित गए। जिस कारण दिल्ली पुलिस द्वारा मंदिर प्रभंधन एवं सेवादारों का भव्य सम्म्मान किया गया। सोसायटी सामजिक क्षेत्र में निःशुल्क ऐलोपैथिक एवं होम्योपैथिक औषधालय भी जनसाधारण के लिए चला रही है । सोसायटी गरीब महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र , लडकियों के लिए मेंहदी प्रशिक्षण केंद्र , संस्कॄत उत्थान के लिए संस्कॄत वेद विद्यालय, कढाई सिलाई और संस्कॄत संवाद शाला भी चला रही है । हर वर्ष रकक़्तदान शिविर का आयोजन विभिन्न विभिन्न संयोजकों के सौजन्य से किया जाता है । पंचगाव में एक गौशाला व अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किया गया है ।

वर्तमान में श्री नवीन कपूर जी सोसायटी के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं जो बद्री भगत जी के वंशज (पांचवीं पीढ़ी) हैं । उनकी सहायता के लिए मंदिर के वरिष्ठ न्यासी उन्हें सहयोग दे रहे हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों से हैं और जिन्हें सामाजिक ओर धाार्मिक कार्यों में दक्षता प्राप्त है ।

सोसायटी द्वारा भविष्य की योजनाओं को हिंदु धर्म की व परंपराओ ओर सामजिक मूल्यों को ध्यान में रखकर व हिंदू समाज के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है । आध्याात्मिक व योग कक्षाओं का आयोजन किया जाता है । हमारे साहित्य व संस्कॄति को ध्यान में रखकर लाइब्रेरी का विस्तार किये जाने की योजना है । मंदिर की आवश्यकताओं के अनुरूप मंदिर का विस्तार किया जा रहा है । माँ झंडेवाली की कॄपा से बद्री भगत जी व उनके परिवार द्वारा सोचा हुआ भविष्य का सपना पूर्ण हो रहा है । सोसायटी अपना वेबसाइट शीघ्र शुरू कर रही है जिसके द्वारा भविष्य के कार्यों का ज्ञान हो पायेगा। आज मंदिर के प्रचार प्रसार विभाग के माननीय अधिकारिओं के कुशल नेतृत्व के चलते श्रद्धालु भक्त मंदिर में प्रतिदिन होने वाली सभी आरतियों एवं अन्य कार्येक्रमों का सीधा प्रसारण ऑनलाइन YouTube एवम Facebook के माध्यम से भी देख सकते हैं। श्रद्धलुओं को ONLINE मंदिर के साथ जोड़ने की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी आरम्भ हो गयी है।

मंदिर की सभी वितिय आवश्यकताऐ भक़्तों द्वारा दिये दान से पूरी होती है । मंदिर के दान पात्रों में जो धन एकत्रित होता है वह दान पात्र हर पद्रह दिन के पश्चात खोले जाते हैं । यह दान पात्र एक आयुक़्त की देखरेख में खोले जाते हैं । सारा धन एक सरकारी बैंक के खाते में जमा किया जाता है। सोसायटी के खाते एक संविधक लेखा परीक्षक द्वारा लेखा परीक्षा किये जाते हैं ।

झंडेवाला में माँ के आशीर्वाद हेतु विश्व भर से भक़्त आते हैं । उन भक़्तों को यहां आत्मिक शांति का आभास होता है जो उन्हें बार - बार इस मंदिर में आने को प्रेरित करता है । सभी संस्थाओं द्वारा झंडेवाला देवी को भारत वर्ष के सर्वोतम व्यवस्था एवं रखरखाव वाले मंदिरों में से एक माना जाता है । माँ के भक़्त यहां आ कर मानसिक शांति व सुख की अनुभूति प्राप्त करते हैं ।