1. 1. ऐलोपैथिक एवम होम्योपैथिक डिस्पैन्सरी झण्डेवाला देवी मन्दिर।
झण्डेवाला मन्दिर में आने वाले हजारों श्रद्धालु भक्तों को चिकित्सा सम्बन्धी सुविधायें प्रदान करने हेतु झण्डेवाला देवी मन्दिर में द्वार संख्या (१) के निकट एलोपैथिक एवं होम्योपैथिक डिस्पैन्सरियों की व्यवस्था की गयी है जहां मन्यताप्राप्त एवम अनुभवी चिकित्सकों द्वारा श्रद्धालु भक्तों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है। प्रतिदिन यहां सैकडों की संख्या में मन्दिर आनेवाले श्रद्धालु भक्तों के अतिरिक्त मंदिर के निकट स्थानों से आने वाले निवासी भी इन चिकित्सा सुविधाओं का निशुल्का लाभ ले रहे हैं।
2. श्री श्याम गौ शाला
चान्दला डूंगरवास, पचगांव, जिला - गुरूग्राम(हरियणा)
भारत में प्राचीन काल से ही गौ, गंगा और गायत्री का बहुत उच्च और पवित्र स्थान रहा है। वर्तमान में यह तीनों ही हिन्दू समाज की घोर उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
जिस गौ माता में सभी देवताओं का वास माना गया है जिसके दूध और घी अनेक गुणों से युक्त होने के कारण अमृत समान कहे गये हैं, जिसके मूत्र में भी अनेक औषधीय गुण विद्यमान हैं और जिसे देवों ने भी पूजनीय माना है आज उसी गौ माता की भारत वर्ष में घोर उपेक्षा हो रही है। गौ हत्या बन्दी कानून न होने के कारण और तथा कथित सेकुलरिज्म की आड़ में भारत में गौ वंश नष्ट होने के कगार पर पहुँच गया है। गौ माता को संरक्षण देने एवं उसके द्वारा मिलने वाले लाभों को समाज में पहुँचाने के पवित्र कार्य को करने के लिये झण्डेवाला देवी मन्दिर समिति ने वर्ष 2013 में पंचगांव तहसील मानेसर जिला गुरूग्राम में अपनी 8 एकड़ भूमि पर लगभाग 5 करोड़ रूपये की लागत से एक गौशाला और अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया और उस पर तेजी से अमल करते हुए दिसम्बर 2013 में अनेक सन्त महात्माओं एवं स्थानीय लोगों की उपस्थिति में भूमि पूजन किया गया और 20 जनवरी 2014 को पूज्य सन्त महात्माओं एवं विश्व हिन्दू परिषद के सरक्षक माननीय अशोक जी सिंघल के द्वारा हजारों स्थानीय लोगों की उपस्थित में गौशाला का उद्घाटन किया गया। शेष निर्माण कार्य एवं अन्य व्यवस्थाओं को पूरा करने का कार्य भी पूर्ण हो गया है। गौशाला का मुख्य उद्देश्य बीमार, घायल, एवं वृद्ध गायों की सेवा करना है। इस कार्य के लिए इस गौशाला में एक चिकित्सालय का निर्माण किया गया है जहां हर प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अतिरिक्त गौशाला परिसर में ही आधुनिक उपकरणों से लैस अनुसंधान शाला का निर्माण भी किया गया है जहां उत्पादों के परीक्षण एवं उपयोग सम्बन्धी अनुसंधान भी हो रहे हैं ।
3. झण्डेवाला शिशु संस्कार केन्द्र / एवं मेंहदी प्रशिक्षण केन्द्र
झण्डेवाला मन्दिर के बाहर भिक्षा मांगने वालों का बहुत वड़ी संख्या में जमघट लगा रहता था जिसके कारण न केवल भक्तों को असुविधा का सामना करना पड़ता था बल्कि अनेक अप्रिय घटनाऐं भी घटित होती रहती थीं। समाज के इस उपेक्षित वर्ग को संस्कार एवं जीवकोपार्जन हेतु अवसर प्रदान करने के लिये मन्दिर परिसर में ही एक संस्कार केन्द्र एवं बालिकाओं के लिए मेंहदी प्रशिक्षण केन्द्र प्रारम्भ किया गया है ताकि ऐसे सभी बालक एवं बालिकायें भिक्षा एवं चोरी आदि छोड़कर स्वाभिमान पूर्वक जीवन यापन कर सकें।
4. श्री श्याम सुन्दर पुस्तकालय झण्डेवाला मन्दिर
झण्डेवाला मन्दिर परिसर में एक पुस्तकालय भी स्थापित किया गया है जिसमें समाचार पत्रों-पत्रिकाओं सहित उच्च कोटि के साहित्य एवं धार्मिक पुस्तकों का संकलन किया गया है। ये सभी पत्र पत्रिकाए एवं पुस्तके कर्मचारियों एवं सेवादारों के लिये नि:शुल्क उपलब्ध है।
5. अन्य -क्रिया कलाप
बद्री भगत झण्डेवाला टेम्पल सोसाइटी अपने सामाजिक और राष्ट्रीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए समय - समय पर अनेक सामाजिक कार्य करती रहती है जिनमें प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता प्रदान करना, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में कार्यरत अनेकानेक संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना और गौशालाओं को सहायता प्रदान करना आदि प्रमुख हैं।
6. निःशुल्क वेद विद्यालय एवं संवाद केंद्र
बद्री भगत न्यास द्वारा मंडोली में एक निःशुल्क वेद विद्यालय एवं संवाद केंद्र स्थापित किया जहाँ निःशुल्क वेदों की शिक्षा प्रदान की जाती है और समय समय पर वेदों पर संवाद शाला का आयोजन भी किया जाता है जिस में देश-विदेश के छात्र भाग लेते हैं ।
7. मंडोली में भी एक सिलाई-कटाई केंद्र
मंडोली में भी एक सिलाई-कटाई केंद्र की स्थापना की गयी है जहां स्थानीय महिलाओं को यह शिक्षा निशुल्क प्रदान की जाती है जिस में सर्टीफिकेट व डिप्लोमा कराये जाते है।
मन्दिर परिसर से बाहर निकलकर समाज की सेवा हेतु झण्डेवाला मन्दिर देवी द्वारा पहली वार 2013 में प्रयाग महाकुंभ में एक मास के लिये नि:शुल्क भण्डारे एवं चिकित्सा की सेवा प्रदान की गयी थी। इससे उत्साहित होकर भविष्य में भी इस प्रकार के सेवा कार्य करने की योजना की सुचारू व्यवस्था के लिये संच बनाये गये। प्रत्येक संच एक न्यासी की देख रेख में चलता है जिन की सहायता के लिये संच सहप्रमुख व प्रशासनिक अधिकारी नामित है। प्रत्येक संच अपने विभागों की सुचारू व्यवस्था की निगरानी रखता है।